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गुरुवार, 13 अगस्त 2009

तुम माँ हो - किशोर कुमार खोरेन्द्र

तुम्हारा मन पारस है
और तन सोना
उदार हिरदय मे है
भरी
सबके लिए करूणा
मोतियों सा चमकता है तुम्हारा -मुस्कुराना





तुम्हारे प्यार के आठवे रंग
को आत्मसात कर
इन्द्रधनुष के रंगों की भी बढ़ जाती है शोभा -

हर रोज एक गाय आ जाती है
अपने माथे पर
तुमसे तिलक लगवाने
चीटियों की लाइन लग जाती है
तुमसे -मीठा स्नेह पाने
बिल्लियाँ भागती नही -
चाहती नही वे भी साथ तुम्हारा खोना
जब तक नही देख लेता तुम्हे
टॉमी ॥!
जारी रहता उसका रोना




सब्जी वाला ,दूध वाला या भिखारी
देख तुम्हे कहते देखो
बहना या माँ आई
पर तुम रहती सदा ध्यान मे
प्रकाश पुंज से तुम भीतर -बाहर घिरी हुई
उत्सुक
सदा
सुनने -सबकी वेदना




तुम बाटती
सबको भर -भर
प्रेम -प्रसाद का एक एक दोना
तुम नही रहती
तब
बच्चो को घर लगता सुना
तुम्हे देख कर भूख मिट जाती
तुम्हारे हाथो से बने भोजन
मे होता है -स्वाद दुगुना
तुम घर हो तुम माँ हो
तुम्ही हो
हम सबकी नीद के लिए
कोमल ममत्व भरा बिछौना




तुम्हारा मन पारस है

और तन सोना -
प्यार से लेकिन कभी -कभी
मेरा नाती कहता
तुम्ही हीरा ,और मेरी चांदी ..हो..ना


11 comments:

BrijmohanShrivastava ने कहा…

माँ की स्तुति में बेजोड़ रचना

Paula Gupta ने कहा…

bahat khub.......keep writing

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

kishor jee,
hamesha kee tarah bahut hin sundar rachna, badhai sweekaren.

खोरेन्द्र ने कहा…

BrijmohanShrivastava jii

shukriyaa

खोरेन्द्र ने कहा…

shankha jii shukriyaa

खोरेन्द्र ने कहा…

jenny shabnam jii shukriyaa

Unknown ने कहा…

Aapki

Unknown ने कहा…

Kishor Ji, " Maa" per likhi ye kavita, aapki likhi hui anya kavitaon ki tarah atulniya hai ... Bahut badhiya... !!

Kavita padhkar mujhay meri Dadi Maa ki yaad aa gayi :( wo bhi thik isi tarah mamtamayi aur saral hrudaya thi ...

Keep it up!!

श्रद्धा जैन ने कहा…

kishor ji
aapki kavita mein maa ko padhna bahut achha laga
maa aisi hi hoti hai

खोरेन्द्र ने कहा…

Anita jii

bahut bahut shukriyaa

खोरेन्द्र ने कहा…

श्रद्धा जैन
jii

man sae shuriyaa