खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के साथ
दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ तुमको,
इंतजार करते-करते परेशां
नहीं होता अब,
आदत हो गयी है तुमको देर से आने की,
कितनी बार तो शिकायत की थी तुम से ही,
पर
क्या तुमने कसी बात पर गौर किया ,
नहीं न ,
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर
तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हर पल में,
खामोश दस्तक के साथ
आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धड़कन का बढ़ना,
और
तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश
और आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को...........
गुरुवार, 28 मई 2009
खामोश रात में तुम्हारी यादें
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8 comments:
बहुत ही सुन्दर कविता है।
Neeshoo Ji,
tumhara sparsh, tumahaari garm saanse mahsoosa karataa hoon.
Kavita ke bhaavo ko bakhoobi vyakta kar deti hai|
Good One.
Mukesh Kumar Tiwari
bahut hi sundar tarike se aapne man ki bhavna ko prastut kiya hai .........aapne
नीशू जी , क्या बात है ? बहुत ही सुंदर रचना के द्वारा आपने प्यार को व्यक्त किया है । तहे दिल से शुक्रिया ।
महसूस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश
और आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
बहुत ही बहेतरीन लाईनें लगी । बधाई
भावाभिक्ति बहुत ही सुन्दर लगी । सजीव चित्रण सा लगता है इस कविता में । पढ़कर आंनदित हुए । धन्यवाद
भावपूर्ण कविता , प्यार बिखेरती रचना ।
neeshu ji ,prem kavita to bahut sundar ban padhi hai mere bhai .. bhaavo ko poori tarah se shaandar abhivyakti me dal kar sahej diya boss..
padhkar dil jhoom gaya ..
badhai sweekare karen..
vjiay
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