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रविवार, 12 अप्रैल 2009

"एक विनम्र निवेदन"

हिन्दी साहित्य मंच के प्रबुद्ध पाठकों और सभी ब्लॉगर मित्रों को प्रणाम।
हिन्दी साहित्य मंच आप सभी हिन्दी प्रेमियों का अपना ब्लॉग है। अब तक प्रियवर नीशू तिवारी इसका सम्पादन बड़ी कुशलता और परिश्रम के साथ कर रहे थे। परन्तु उन्हें किसी अपरिहार्य कारण से बाहर जाना पड़ा। न जाने क्या सोच कर वो इसकी जिम्मेदारी मुझ पर डाल गये हैं।
आज मुझे अनुभव हो रहा है कि सम्पादन करना कितना कठिन होता है? इसमें समय व परिश्रम के साथ-साथ साहित्यकार की लेखनी से निकले शब्दों के प्रभाव का भी ध्यान रखना होता है। मैं इसमें कितना सफल हो पाऊँगा, यह कुछ कहा नही जा सकता है।
एक विनम्र निवेदन आपसे करता हूँ कि सम्पादन में मुझसे भूलवश् या अज्ञानता के कारण यदि कहीं कमियाँ रह जायें, तो कृपया नीशू जी के आने तक मुझे क्षमा कर देंगे और पहले की तरह इस मंच को अपना स्नेह प्रदान करते रहेंगे।
शुभकामनाओं के साथ।
सादर- डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
फोन/फैक्सः 05943 - 250207
चलभाष्ः 093684-99921

4 comments:

-कौतुक ने कहा…

अग्रिम क्षमादान? आप तो यह मानकर चले हैं कि भूल होगी ही होगी. विश्वास रखिये. अवसर आने पर वानरों ने सेतु निर्माण कर लिया था. और नीशू जी ने तो अपना विकल्प आपको मान ही लिया है.

हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं.

हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

सर जी , आप अपना कार्य कुशलता से करेंगें ऐसी उम्मीद हैं । कमियां और खमियां ही हमें कुछ सीखने पर मजबूर करती हैं । शुभकामनाएं

Unknown ने कहा…

आपके लिए एक चुनौती जरूर है पर आप ही इस कार्य के लिए उपयुक्त हैं । मेरी ओर से शुभकामनाएं ।

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

आदरणीय मयंक जी,
यह आपका बड़प्पन है की आप इस प्रकार त्रुटियों के लिए अग्रिम क्षमा मांग रहे हैं. वरना हम सब आपकी विद्वता और आपके साहित्य प्रेम से परिचित हैं. मुझे विश्वास है की आपके कुशल निर्देशन में हिंदी साहित्य मंच सफलता और उपलब्धियों की नई ऊँचाइयों को छुएगा. बाकी हम सबकी शुभकामनाएं तो आपके साथ हैं ही.