गुरुवार, 2 अप्रैल 2009
जीवन क्या है...चलता-फिरता एक खिलौना है!![भूतनाथ जी]
"चीजें अपनी गति से चलती ही रहती है ...कोई आता है ...कोई जाता है ....कोई हैरान है ...कोई परेशां है.....कोई प्रतीक्षारत है...कोई भिक्षारत है...कोई कर्मरत है....कोई युद्दरत....कोई क्या कर रहा है ...कोई क्या....जिन्दगी चलती रही है ...जिन्दगी चलती ही रहेगी....कोई आयेगा...कोई जाएगा....!!!!""............जि
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3 comments:
भूतनाथ जी!
जीवन एक चलता-फिरता खिलौना तो है ही
परन्तु इससे खेलने वाला कोई और है।
जो अपना खेल खेल रहा है।
लिखना जारी रक्खें। बधाई।
भूतनाथ जी जिन्दगी के रंगों की ये अभिव्यक्ति लाज़बाब है इस पर आज एक कविता पोस्त करती हूं जो कि मैने सब से पहले अप्ने ब्लोग पर लिखी थी आप अपनी जिन्दगी को अप्ने लक्ष्य के लिये जीयें शुभ कामना
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