कपकपाती ठण्ड में
जो कभी ठहरा नहीं
चिलचिलाती धूप में
जो कभी थमा नहीं
गोलियों की बौछार में
जो कभी डरा नहीं
बारूदी धमाकों से
जो कभी दहला नहीं
अनगिनत लाशों में
जो कभी सहमा नहीं
फर्ज के सामने
जो कभी डिगा नहीं
आंसुओं के सैलाब से
जो कभी पिघला नहीं
देश के आन ,मान ,शान में
मिटने से जो कभी पीछे हटा नहीं
ऐसे वीर जवानों को
शत -शत नमन ।।
जो कभी ठहरा नहीं
चिलचिलाती धूप में
जो कभी थमा नहीं
गोलियों की बौछार में
जो कभी डरा नहीं
बारूदी धमाकों से
जो कभी दहला नहीं
अनगिनत लाशों में
जो कभी सहमा नहीं
फर्ज के सामने
जो कभी डिगा नहीं
आंसुओं के सैलाब से
जो कभी पिघला नहीं
देश के आन ,मान ,शान में
मिटने से जो कभी पीछे हटा नहीं
ऐसे वीर जवानों को
शत -शत नमन ।।
4 comments:
वीर जवानों को शत शत नमन।
भावपूर्ण रचना
शत शत नमन है वीरों को ...
मेरी रचना " नारी (एक बेबसी)" जो मेरे ब्लॉग "कविता संग्रह" पर पोस्ट है और जिसका लिंक है - http://rishabhpoem.blogspot.in/
१३ अप्रैल को यह रचना " नयी पुरानी हलचल '' पर प्रकाशित की जाएगी. आप सभी से अनुरोध है की आप सभी वह जाकर मेरी रचना को पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें.
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in/
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