हमें क्या हो गया ?
ज़मीर सो गया
सिर्फ पैसा दिख रहा
परिवार सिमट कर
यादो में रह गया
परिवार के नाम पर
मैं और मेरा रह गया
पड़ोसी से मिलना
समारोह में होता
भाई,बहन में भी
प्रोटोकॉल होता
अपना खून ही अपना
लगता
पिता का खून भी
पराया हो गया
शिक्षा का उद्देश्य
सिर्फ कमाना रह गया
"हम" से बड़ा "मैं"
हो गया
सब निरंतर देख रहे
पीड़ा को झेल रहे
फिर भी होने दे रहे
खुद को लाचार
बता रहे
3 comments:
katu satya kahti rachna ..
yatharth ka satik chitran....
15.07.17fangyanting
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