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शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

जिन्दगी : बस यूँ ही {कविता} सुमन ‘मीत’




   1

जिन्दगी की खुशियाँ
दामन में नहीं सिमटती
ऐ मौत ! आ
तुझे गले लगा लूँ...........


    2

जिन्दगी एक काम कर
मेरी कब्र पर
थोड़ा सकून रख दे
कि मर कर
जी लूँ ज़रा..........
   


  3

जिन्दगी दे दे मुझे
चन्द टूटे ख़्वाब
कुछ कड़वी यादें
कि जीने का
कुछ सामान कर लूँ........



                                                                            

6 comments:

Onkar ने कहा…

Bahut khoob.

M VERMA ने कहा…

जिन्दगी जीने का एक अन्दाज यह भी

संध्या आर्य ने कहा…

sundar abhivyakti

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत क्षणिकाएँ

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया!
मंगलकामनाएँ!

kalaam-e-sajal ने कहा…

जिन्दगी दे दे मुझे
चन्द टूटे ख़्वाब
कुछ कड़वी यादें
कि जीने का
कुछ सामान कर लूँ........
Achhi panktiyaan