एक गीत की वो आवाज़ जो जब किसी हिन्दुस्तानी के कानो मैं पड़ती है तोउसे बड़ा सुकून देती है भारतीय संगीत की दुनिया मैं बड़े ही अद्व के साथ लिया जाने वालानाम पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी भारतीय संगीत-नभ के जगमगाते सदाक लिए डूवचूका है अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वरसदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. सुर ताल को अपनी आवाज़ मैं बाँध केर गाने वाले पंडित जी अद्भुभूत तरीके सेगाते थे अलवेला सन यो रे ,,और ठुमक ठुमक पग कुमत कुञ्ज ,चपल चरणहरी आये सादे पहनावे, रहन-सहन और स्वभाव वाले भीमसेन जी को अपनेबारे में कहने में हमेशा संकोच रहा। यह मेरा सौभाग्य ही है पण्डित भीमसेनजोशी ने जहाँ एक ओर अपनी विशिष्ट शैली विकसित करके किराना घराने कोसमृद्ध किया, वहीँ दूसरी ओर अन्य घरानों की विशिष्टताओं को भी अपने गायनमें समाहित किया। उन्होंने राग कलाश्री और ललित भटियार जैसे नए रागों कीरचना भी की। उन्हें खयाल गायन के साथ-साथ ठुमरी, भजन और अभंगगायन में भी महारत हासिल थी। पंडित जी ने कई फिल्मो मैं अपनीअनमोल गायन प्रतिभा का योगदान दिया है - 'ठुमक ठुमक पग कुमत कुञ्जमग, चपल चरण हरि आये ....'I इस फिल्म के संगीतकार जयदेव थे. फिल्म केइस गीत को १९८५ में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गीत(पुरुष स्वर) के रूप में पुरस्कृत किया गया थाI पंडित जी भले ही आज हमारेसाथ नहीं हैं लेकिन उनकी मधुर स्वर्णिम आवाज़ हमेशा उनको हमारी आँखों मैं सदा के लिए जिन्दा रखेगी आज पंडित भीमसेन जोशी हमारे बीच मौजूदनहीं। लेकिन उनकी मधुर इस संसार को उनकी हमेसा याद दिलाती रहेगी
गुरुवार, 14 अप्रैल 2011
एक गीत की वो आवाज़ .......................मुस्तकीम खान
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4 comments:
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
अच्छी पोस्ट. कहीं कहीं वर्तनी की अशुद्धियां हैं, शायद ग़लती से रह गई होंगी. जोशी जी का साक्षात्कार करने का मुझे मौका मिला है, खुद को भाग्यशाली मानती हूं मं, इस मामले में.
JOSHI JI KE SANDARBH ME ACCHI POST
bahut madhur.ase mahapurso ko janam de kar ye dharti bhi dhany ho jati hai.kal-kal krta shwar sahitya manch se har din kuch naya,umag chahta hai.
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