भाषा जो सम्पर्क की हिन्दी उसमे मूल।
राष्ट्र की भाषा न बनी यह दिल्ली की भूल।।
राज काज के काम हित हिन्दी है स्वीकार।
लेकिन विद्यालय सभी हिन्दी के बीमार।।
भाषा तो सब है भली सीख बढ़ायें ज्ञान।
हिन्दी बहुमत के लिए करना मत अपमान।।
मंत्री के संतान सब जा के पढ़े विदेश।
भारत में भाषण करे हिन्दी पर संदेश।।
बढ़ा है अन्तर्जाल में हिन्दी नित्य प्रभाव।
लेकिन हिन्दुस्तान में है सम्मान अभाव।।
सिसक रही हिन्दी यहाँ हम सब जिम्मेवार।
बना दो भाषा राष्ट्र की ऐ दिल्ली सरकार।।
दिन पंद्रह इक बरस में हिन्दी आती याद।
यही सोच हो शेष दिन सुमन करे फरियाद।।
बुधवार, 15 सितंबर 2010
हिन्दी पखवारा.................श्यामल सुमन
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1 comments:
राज काज के काम हित हिन्दी है स्वीकार।
लेकिन विद्यालय सभी हिन्दी के बीमार।।
मंत्री के संतान सब जा के पढ़े विदेश।
भारत में भाषण करे हिन्दी पर संदेश।।
वाह सुमन जी बहुत अच्छा व्यंग है। बधाई। आजकल आप किसी ब्लाग पर नज़र नही आते क्या बात है? शुभकामनायें।
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