तुम पास होती,
ये जरूरी नही था।
तुम्हारे होने का एहसास ही,
जीने के लिये काफी था ।।
मै तेरे बिना भी जी सकता था,
पर तेरी बेवफाई न मुझे मार डाला।
मुझे मालून भी न चला,
तुने एक पल मे प्यार बदल डाला।।
न चाह थी तेरे आलिंगन की,
न चाह थी तेरे यौवन का।
दिल की आस यही रही हमें,
प्यार अमर रहे हमेशा।।
मैने प्यार में चाहा खुद्दारी,
पर मिली हमेशा गद्दारी।
प्यार कोई दो जिस्मो खेल नही है,
प्यार दो दिलो का मेल है।।
मेरे प्यार की सीमा वासना नही,
ये तो अर्न्तत्मा का मिलन है।
पल भर पहले दो अजनबियों का,
जीवन भर साथ निभाने का वचन है।।
मै तुम्हारा ही हूँ और रहूँगा,
मैने तुमको वचन दिया था।
तुमने भी ऐसा ही प्रण लिया था,
पर आज तुम्हारा प्रण दम तोड़ दिया।।
बदलते परिवेश मे
प्यार की परिभाषा ही बदल गई।
वर्तमान आधुनिकता में,
प्यार की जगह वासना ने ले ली है।।
तुमसे मिलने के बाद सोचा था
कि मेरी सच्चे प्यार की तलाश खत्म हुई।
पर नही अभी प्यार की ठोकरें बाकी है,
प्यार के लिये अभी और परीक्षा बाकी है।।
तुम मेरी अन्तिम आस नही हो,
अभी प्यार करने वाले और भी है।
जिनने अन्दर प्यार के नाम पर वासना ही प्यास नही
बल्कि प्यार की गइराईयों मे डूबकर "प्रेम रसपान" की इच्छा हो।- प्रमेन्द्र
1 comments:
मर्मस्पर्शी रचनाएं......आनंद आया
... बधाई स्वीकारें।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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