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बुधवार, 7 जुलाई 2010

प्रियतम होते पास अगर..............श्यामल सुमन

प्रियतम होते पास अगर
मिट जाती है प्यास जिगर

ढ़ूँढ़ रहा हूँ मैं बर्षों से
प्यार भरी वो खास नजर

टूटे दिल की तस्वीरों का 
देता है आभास अधर

गिरकर रोज सम्भल जाएं तो
बढ़ता है विश्वास मगर

तंत्र कैद है शीतल घर में
जारी है संत्रास इधर

लोगों को छुटकारा दे दो
बन्द करो बकवास खबर

टूटे सपने सच हो जाएं
सुमन हृदय एहसास अगर

3 comments:

हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

प्रियतम होते पास अगर
मिट जाती है प्यास जिगर

ढ़ूँढ़ रहा हूँ मैं बर्षों से
प्यार भरी वो खास नजर

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर। सुमन जी को बधाई। आभार।

vandana gupta ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भाव्।