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बुधवार, 9 जून 2010

काव्य दूत,,,,,,,,,,,,,


  पुस्तक समीक्षा 
 पुस्तक--काव्यदूत ( काव्य सन्ग्रह), रचनाकार--डा श्याम गुप्त , समीक्षक--कवि राम देव लाल "विभोर" , प्रकाशक- सुषमा प्रकाशन, आशियाना, लखनऊ 

काव्यदूत कवि श्याम का,पढ़ा मिला आनंद |

कहीं 'सुगत' दिक्पाल है,कहीं मुक्त है छंद |

अनुभव का आला लिए,अति उत्तम तजवीज़ |
सुकवि श्याम के काव्य में,विविध रंग के बीज |

आस पास के दृश्य को, रचनाओं में ढाल |
श्याम'सलोनी उक्ति कह,सबको करें निहाल |

सरल, खडी- बोली मधुर, उत्तम भाव- विभाव |
गतिमय कविता श्याम की,दिल पर करे प्रभाव |

पुस्तक में दो खंड हैं , रचनाएँ हें साठ |
यति गति लय में सभी का,मनमोहक है पाठ |

पीर कहीं, माया कहीं , कहीं सुहाना गीत |
सूनी राहें चल रहे , श्याम सभी के मीत |

अंधियारी रजनी कहीं, दूर क्षितिज के पार |
चंचल धारा है कहीं , गम का कहीं निखार |

छोटी छोटी बात को, कलापूर्ण दे चित्र |
सुकवि 'श्याम अब होगये, काव्य कला के मित्र |

यादों की अल्बम लिए,सरल श्याम के भाव |
दिन दुगुना, निशि चौगुना,बढ़ा रहे अब चाव |

साधुवाद कवि श्याम को , देते आज 'विभोर |
ईश करे, दिन दिन बढे, उनकी रचना डोर

1 comments:

Udan Tashtari ने कहा…

ये समीक्षा का काव्यात्मक तरीका बहुत पसंद आया.