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बुधवार, 30 जून 2010

'आवारागर्द' है....................... पंकज तिवारी


ये हँसी नहीं मेरे दिल का दर्द है।
हर एक साँस मेरी आज सर्द है।।

छुपाया है हर एक आँसू आँखों में,
देख पाये ज़माना बड़ा बेदर्द है।

है साफ आइने सा आज भी दिल,
कतरा तलक जम सकी गर्द है।

बदसुलूकी की ये सजा है मिली,
दिल है गमगीन और चेहरा ज़र्द है।

साफ समझे याकि दिल का काला,
हर एक राज़ तेरे सामने बेपर्द है।

कभी समझाया जो वाइज़ बनकर,
ईनाम में नाम दिया 'आवारागर्द' है।

4 comments:

बेनामी ने कहा…

wah, kya aawaragee hai.....


dard hai, ehasaas hai, kasis hai, sabse khas pankaj ki aapka andaj e bayan hai.
pankaj aap aur behatrin abheyaktee de.

meri subhkamnayen.


Ashutosh

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपकी आवारगी बनी रहे कविता में भी । शुभकामनायें ।

मनोज कुमार ने कहा…

एक बेहतरीन ग़ज़ल।

ananad banarasi ने कहा…

bhut hi pyari rchna hai apki