कभी कभी हम चाहते हैं कि
कोई हो ऐसा जो
हमारे रूह की
अंतरतम गहराइयों में छिपी
हमारे मन की हर
गहराई को जाने
कभी कभी हम चाहते हैं कि
कोई हो ऐसा जो
सिर्फ़ हमें चाहे
हमारे अन्दर छिपे
उस अंतर्मन को चाहे
जहाँ किसी की पैठ न हो
कभी कभी हम चाहते हैं कि
कोई हो ऐसा जो
हमें जाने हमें पहचाने
हमारे हर दर्द को
हम तक पहुँचने से पहले
उसके हर अहसास से
गुजर जाए
कभी कभी हम चाहते हैं कि
कोई हो ऐसा जो
बिना कहे हमारी हर बात जाने
हर बात समझे
जहाँ शब्द भी खामोश हो जायें
सिर्फ़ वो सुने और समझे
इस मन के गहरे सागर में
उठती हर हिलोर को
हर तूफ़ान को
और बिना बोले
बिना कुछ कहे वो
हमें हम से चुरा ले
हमें हम से ज्यादा जान ले
हमें हम से ज्यादा चाहे
कभी कभी हम चाहते हैं
कोई हो ऐसा.......कोई हो ऐसा
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मंगलवार, 11 मई 2010
कोई हो ऐसा.....(कविता)......वंदना
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8 comments:
bahut khubsurat chahat ki hai vandna ji !
बहुत बेबाक रचना ।
मन की गहराई से निकले भाव....काश ये चाहत कभी हकीकत बने.....खूबसूरत रचना..जिसमें जज़्बात भरे हुए हैं...
वंदना जी सरल शब्दों में हार्दिक उद्गार को बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है ...
अति सुन्दर रचना ...बधाई
wah wah bahut khub vandana ji dil tak utar gayi ye rachna ..badhai
apne prem ki ak pyari pribhasha di jo mujko jane
kaphi achchhi
bahut acchi kavita ..
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