खुशी से दूर सभी फिर ये ठिकाना क्यूँ है?
अमन जो लूटते उसका ही जमाना क्यूँ है?
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठतीं हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?
शुक्रवार, 7 मई 2010
आईना से बहाना क्यूँ है.........(गजल)..........श्यामल सुमन
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12 comments:
श्यामल जी ,,,,ग़ज़ल लाज़वाब है ....जितनी भी तारीफ की जाये कम होगी....हार्दिक बधाई ..
खुशी से दूर सभी फिर ये ठिकाना क्यूँ है?
अमन जो लूटते उसका ही जमाना क्यूँ है?
wah wah bahut khub har ek sher padhkar maza aa gya..
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठतीं हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?
gazal ka har sher gajab ka hai ...badhai sir ji
ap ne bhut pyara likha hai
अच्छी पंक्तियां हैं। पढ़कर अच्छा लगा।
सच के करीब ले जाती गजल। बधाई।
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पड़ोसी की गई क्या?
गूगल आपका एकाउंट डिसेबल कर दे तो आप क्या करोगे?
आप सब के प्रति विनम्र आभार - स्नेह बनाये रखें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
बेग्तारीन शेर है सुमन जी ..... क्या बात है !!
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
bahut sundar...
बहुत ही उम्दा व लाजवाब ।
श्यामल जी
चिरंजीव भवः
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगो को नित गंगा नहाना क्यों है?
मन चंगा तो गली में गंगा की कहावत याद आती है
आपकी कविता के एक एक शब्द डंके चोट ,झकझोर भावपूर्ण मोतियों की लड़ियाँ हैं
shyamal jee galti se benami par cliho gya
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