गमों की धूप से तू उम्र भर रहे महफ़ूज़,
खुशी की छांव हमेश तुझे नसीब रहे.
रहे जहां भी तू ऐ दोस्त ये दुआ है मेरी,
मसर्रतों का खज़ाना तेरे करीब रहे.
तू कामयाब हो हर इम्तिहां में जीवन के,
तेरे कमाल का कायल तेरा रकीब रहे.
तू राहे-हक पे हो ता-उम्र इब्ने-मरियम सा,
बला से तेरी कोई मुन्तज़िर सलीब रहे.
नहीं हो एक भी दुश्मन तेरा ज़माने में,
मिले जो तुझसे वो बनके तेरा हबीब रहे.
न होगा गम मुझे मरने का फिर कोई ’शमसी’,
जो मेरे सामने तुझसा कोई तबीब रहे.
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010
ग़ज़ल....मोनी शम्सी
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6 comments:
bahut khoob waah...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत बढ़िया.
कठिन शब्दों के अर्थ भी दे दें, तो आसान हो जाये बात!
प्रयास बहुत ही अच्छा है ......खासकर उर्दू शब्दों का अच्छा प्रयोग किया है आपने ....शुभ वर्तमान ...
moni ji bahut hi acchi lagi gazal ...ye line dil tak utar gayi
गमों की धूप से तू उम्र भर रहे महफ़ूज़,
खुशी की छांव हमेश तुझे नसीब रहे.
रहे जहां भी तू ऐ दोस्त ये दुआ है मेरी,
मसर्रतों का खज़ाना तेरे करीब रहे.
badhai
लाजवाब ग़ज़ल...
तू कामयाब हो हर इम्तिहां में जीवन के,
तेरे कमाल का कायल तेरा रकीब रहे.
बहुत खूब ....बधाई
खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.
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