मस्त बयार बहे
रंगों की बौछार चले
रंगे सब तन मन
चढ़े अब फागुनी रंग
कान्हा की बांसुरी संग
भीगे तपते मन की रंगोली
आओ खेले होली ..
टूट जाए हर बन्ध
शब्दों का रचे छंद
महके महुआ की गंध
छलके फ्लाश रंग
मिटे हर दिल की दूरी
आओ खेले होली
बहक जाए हर धड़कन
खनक जाए हर कंगन
बचपन का फिर हो संग
हर तरफ छाए रास रंग
ऐसी सजी फिर
मस्तानों की टोली
आओ खेले होली ..
कान्हा का रास रसे
राधा सी प्रीत सजे
नयनो से हो बात अनबोली
आओ खेले होली ....
रविवार, 28 फ़रवरी 2010
आओ खेले होली ....................रंजना (रंजू) भाटिया
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
12 comments:
बहुत ही उम्दा रचना लगी , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई ।
बहक जाए हर धड़कन
खनक जाए हर कंगन
बचपन का फिर हो संग
हर तरफ छाए रास रंग
ऐसी सजी फिर
मस्तानों की टोली
आओ खेले होली ..
बहुत सुन्दर रचना सब को होली की हार्दिक शुभकामनायें
happy holi
HOLI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEIN.
लाजवाब रचना...होली की शुभकामनाएं...
नीरज
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
Bahut khub. lajwab kritee.
Holi ki hardik subhkamnayen.
Ashutosh Ojha
भल्ले गुझिया पापड़ी खूब उड़ाओ माल
खा खा कर हाथी बनो मोटी हो जाए खाल
फिरो मजे से बेफिक्री से होली में,
मंहगाई में कौन लगाए चौदह किला गुलाल
http://chokhat.blogspot.com/
"कान्हा का रास रसे
राधा सी प्रीत सजे
नयनो से हो बात अनबोली
आओ खेले होली ...."
सच्ची कामना - कवयित्री, हिंदी साहित्य मंच, सदस्य तथा पाठक सभी को होली "मंगल-मिलन" की हार्दिक शुभकामनाएं
फागुन की यह हवा ही कुछ ऐसी है शुभकामनाये
रंगोत्सव आपको और आपके परिवार को हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण करे।
डॉ० डंडा लखनवी
रंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें रंजना जी
एक टिप्पणी भेजें