इंसान दुनिया में आता है और चला जाता है, लेकिन वह जाने के लिया आता है और आने के लिया जाता है, वह रोता हुआ आता है और रोता हुआ जाता है, पर क्या कभी सोचा है आपने सबसे ज्यादा वह किसे सताता है, देती है जो जन्म उसे और इस दुनिया में लाती है, ख़ुद तो जगती है रातों को, लोरी गा उसे सुलाती है, वह तो भूखी रहती है लेकिन बच्चे को दूध पिलाती है, खिला-पिला कर बड़ा करे और उसको खूब पढाती है, और यह सब करने में वह ख़ुद को भूल जाती है, आंखों में सपने होते हैं, दिल में होते हैं अरमान, इसीलिए वह अपनी सारी खुशिया कर देती है दान, दान में खुशिया दे देती है ले लेती है सारे गम, होती है ममता उसकी नहीं किसी से कम, इस सबके बदले में बेटा देता है क्या माँ को, यही समझना है हम सबको, यही सोचना है हम सबको।
बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
इंसान दुनिया में आता है और चला जाता है---------------[कुलदीप कुमार मिश्र ]
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7 comments:
आज की मौजुदा स्थिति को आपने बखुबी चित्रित किया है , मार्मिक रचना के लिए बधाई ।
कुलदीप जी आपकी रचना बेहद मार्मिक लगी , दिल को छू गयी आपकी रचना ।
कुलदीप जी आपने सच्चाई को उकेर कर रख दिया इस रचना के माध्यम से । आपको बहुत-बहुत बधाई देंना चाहूंगा इस उम्दा रचना के लिए ।
बेहद सुन्दर व मार्मिक रचना ।
cुत सुंदर .. अति मार्मिक रचना !!
कुलदीप जी,इस रचना ने सोचने को मजबूर भी किया और जब सोचा तो दिल भि दुखा.....आभार!
सादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
सुन्दर रचना..दिल को छूती हुई.
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