उषा सुनहरी थाल सजा कर ले आयी ,
धूप और लोबान पवन ने महकाए,
घुँघरू नूपुर सी आवाजें खगकुल की
कल कल सरिता करे वन्दना हरषाए ;
खोला के पट स्वागत में उषा पुजारिन के ,
मंदिर के घंटों ने दिव्य गीत गाये;
भुवन भास्कर नव प्रहात लेकर आये ||
उषा सुनहरी थाल सजा कर ले आयी ,
1 comments:
उम्दा रचना, बधाई श्याम जी को ।
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