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शनिवार, 9 जनवरी 2010

नव-प्रभात ---(डाo श्याम गुप्त )


उषा सुनहरी थाल सजा कर ले आयी ,


धूप और लोबान पवन ने महकाए,


घुँघरू नूपुर सी आवाजें खगकुल की


कल कल सरिता करे वन्दना हरषाए ;


खोला के पट स्वागत में उषा पुजारिन के ,


मंदिर के घंटों ने दिव्य गीत गाये;


भुवन भास्कर नव प्रहात लेकर आये ||

1 comments:

Mithilesh dubey ने कहा…

उम्दा रचना, बधाई श्याम जी को ।