ऐ हसीं ता ज़िंदगी ओठों पै तेरा नाम हो |
पहलू में कायनात हो उसपे लिखा तेरा नाम हो |
ता उम्र मैं पीता रहूँ यारव वो मय तेरे हुश्न की,
हो हसीं रुखसत का दिन बाहों में तू हो जाम हो |
हो हसीं रुखसत का दिन बाहों में तू हो जाम हो |
जाम तेरे वस्ल का और नूर उसके शबाब का,
उम्र भर छलका रहे यूंही ज़िंदगी की शाम हो |
उम्र भर छलका रहे यूंही ज़िंदगी की शाम हो |
नगमे तुम्हारे प्यार के और सिज़दा रब के नाम का,
पढ़ता रहूँ झुकता रहूँ यही ज़िंदगी का मुकाम हो |
पढ़ता रहूँ झुकता रहूँ यही ज़िंदगी का मुकाम हो |
चर्चे तेरे ज़लवों के हों और ज़लवा रब के नाम का,
सदके भी हों सज़दे भी हों यूही ज़िंदगी ये तमाम हो |
सदके भी हों सज़दे भी हों यूही ज़िंदगी ये तमाम हो |
या रब तेरी दुनिया में क्या एसा भी कोई तौर है,
पीता रहूँ , ज़न्नत मिले जब रुखसते मुकाम हो |
पीता रहूँ , ज़न्नत मिले जब रुखसते मुकाम हो |
है इब्तिदा , रुखसत के दिन ओठों पै तेरा नाम हो,
हाथ में कागज़-कलम स्याही से लिखा 'श्याम' हो ||
हाथ में कागज़-कलम स्याही से लिखा 'श्याम' हो ||
प्रस्तुति--- डा० श्याम गुप्ता
5 comments:
बहुत खूब अच्छी गज़ल बेहतरीन शेर
चर्चे तेरे ज़लवों के हों और ज़लवा रब के नाम का,
सदके भी हों सज़दे भी हों यूही ज़िंदगी ये तमाम हो |
बधाई स्वीकार करें
umda rachna .
ग़ज़ल की रवानगी दिल ले गयी.....!
बहुत उमदा गज़ल बधाई
बहुत खूब, ज़िंदाबाद...
एक टिप्पणी भेजें