"सफलता का एक कोई पल नही,
विफलता की गोद में ही गीत है।
हार कर भी जो नही हारा कभी,
सफलता उसके ह्रदय का गीत है।"
असफलता को सफलता की प्रेरणा और निराशा को आशा की जननी मानने वाले व्कति ही सफल होते है।
जब कोई घुङसवार घोङे से गिरता है, तब वह तुरन्त अपने कपङे झाङकर और चोटिल शरीरांगो को सहलाकर दुबारा घोङे पर बैठ जाता है, क्योकिं उसको विश्वास रहता है कि दो चार बार गिरने के बाद ठीक तरह से घुङसवारी करना आ जाएगा जो चढेगा नही वह गिरेगा क्यो? जो गिरकर बैठ जाएगा वह चढना क्योकंर सीख पाएगा? दोष गिरने मे नहीं, गिरकर न उठने मे है।
जब कोई घुङसवार घोङे से गिरता है, तब वह तुरन्त अपने कपङे झाङकर और चोटिल शरीरांगो को सहलाकर दुबारा घोङे पर बैठ जाता है, क्योकिं उसको विश्वास रहता है कि दो चार बार गिरने के बाद ठीक तरह से घुङसवारी करना आ जाएगा जो चढेगा नही वह गिरेगा क्यो? जो गिरकर बैठ जाएगा वह चढना क्योकंर सीख पाएगा? दोष गिरने मे नहीं, गिरकर न उठने मे है।
घुङसवार की मानसिकता से क्या हम कोई शिक्षा ले सकते है? यही कि गिरने का अर्थ बैठ जाना नही है, बल्कि अधिक उत्साह के साथ उठकर आगेबढने का है, तब जिसको हम असफलता कहते है, वह क्या है? हमारे विचार से केवल सफलता की प्रेरणा है असफलता का अपना कोई स्वतन्त्र अस्तित्व नही है, सफलता के अभाव का ही नाम असफलता है। अग्रंजी के विचारक निबन्धकार का यह कथन कितना यथार्थ है कि असफलता निराशा का सूत्र कभी नही है, अपितु वह नई प्रेरणा है।
एवरेस्ट पर विजय का अभियान १९२५ के आसपास शुरु हुआ था और सन १९५० मे उसको सफलता प्राप्त हुई। जितनी बार अभियान असफल हुआ, उतनी बार सफलता की प्रेरणा बलवती हुई , अभियान पे जाने वाले शूरवीरो ने क्षणिक निराशा मे आशा देखी और नई उमंग लेकर सफलता की ओर अग्रसर हो गये।
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को ही उदाहरणस्वरुप ले लिजिए, इसका शुभारम्भ सन १८५७ मे हुआ था और उसका समापन सन १९४७ मे हुआ, जबकि भारत को स्वतन्त्रता की प्राप्ति हो गई। इस ९० वर्ष का के अन्तराल मे शासक वर्ग का दमन चक्र अनेक बार चला, अनेक व्यक्ति लाठियों और गोलियों के शिकार हुए, अनेक बार आन्दोलन तात्कालिक रुप से असफल हुआ, अनेक बार भारतीय जनमानस पर निराशा के बादल गहराये, परन्तु असफलता मे अन्तर्निहित सफलता बराबर तङपती रही और अपने साधको को बार- बार प्रेरणा देती रही.
भरतीय प्रशासनिक सेवाओं तथा अन्य श्रेष्ठ प्रतियोगी परीक्षाओ मे सफल होने वाले प्रतयाशियो से साक्षात्कार करके देखिए, उनके कथन मे एक बात सामान्य रुप से पाई जाएगी, वे अपनी प्रारम्भिक असफलताओ से निराश अवश्य हुए परन्तु बहुत ही स्वल्प अवधि के लिए, वे सफलता के प्रति आश्वस्त होकर आगे बढने लगे थे और निराशा मे आशा की किरणे देखकर आन्मविश्वास से भर गये थे वे जानते थे कि दिपावली यानि प्रकाश का त्योहार अमावशया की अंधेरी रात मे मनाया जाता है, क्योकि देववाणी का संदेश है कि हमे निराशा की अंधेरी रात मे आशा का दीप जलाए रखना चाहिए, अधंकार के उपरान्त प्रभात के प्रकाश का आगमन सुनिश्चित है।
असफलता के अंधेरे मे जो व्यक्ति प्रकाश की प्रभु रेखा के दर्शन करता है, वही सफलता के पथ पर अग्रसर होने का अधिकार प्राप्त करता है आशान्वित रहते हुए हम यह विश्वास रखें कि रात्रि के अधंकार के बाद प्रातः का प्रकाश आना अनिवार्य है, हमे याद रखना चाहिए-
रात लम्बी है मगर तारो भरी है,
हर दिशा का दीप पलको ने जलाया।
साँस छोटी है, मगर आशा बंङी है,
जिन्दगी ने मौत पे पहरा बैठाया।
हर दिशा का दीप पलको ने जलाया।
साँस छोटी है, मगर आशा बंङी है,
जिन्दगी ने मौत पे पहरा बैठाया।
9 comments:
रात लम्बी है मगर तारो भरी है,
हर दिशा का दीप पलको ने जलाया।
साँस छोटी है, मगर आशा बंङी है,
जिन्दगी ने मौत पे पहरा बैठाया।
दुबे साहब, छा गए ! बहुत सुन्दर लेख चुना ! उम्मीद की एक किरण.......... बस यही तो जीवन का सार है !
सफलता का एक कोई पल नही,
विफलता की गोद में ही गीत है।
हार कर भी जो नही हारा कभी,
सफलता उसके ह्रदय का गीत है।"
रात लम्बी है मगर तारो भरी है,
हर दिशा का दीप पलको ने जलाया।
साँस छोटी है, मगर आशा बंङी है,
जिन्दगी ने मौत पे पहरा बैठाया।
वाह आजकल बहुत मेहनत कर रहे हो आलेख तो सुन्दर है ही कविता उस से भी सुन्दर है। सुबह सुबह ही मन आशा से स्फुरित सा हो गया । बहुत प्रेरक रचना है बधाई और बहुत बहुत आशीर्वाद्
बहुत सुन्दर उदहारण पेश किये हैं ! अंतिम लाइनों ने तो सारा सार ही समझा दिया !!!
बहुत बझिया लगी आपकी सोंच .. और आपकी मेहनत को तो जबाब नहीं .. वैसे तो मैं कविता नहीं लिखती .. पर मस्तिष्क में आए ऐसे ही विचार कभी इस तरह कागज पर अकित हों गए थे .....
सख्ती कठोरता, वरदान प्रकृति का,
हर्षित हो अंगीकार कर ।
दृढ अचल चरित्र देगी तुझे ,
क्रमबद्ध ढंग से ये सजकर।
जैसे बनती है भव्य अट्टालिकाएं ,
जुडकर पत्थरों में पत्थर !!
कृपया बझिया को बढिया पढें !!
एक अंधेरा, लाख सितारे
एक निराशा, लाख सहारे
सबसे बड़ी सौगात है जीवन
नादां हैं जो जीवन से हारे...
जय हिंद...
रचना अच्छी लगी। बधाई।
रात लम्बी है मगर तारो भरी है,
हर दिशा का दीप पलको ने जलाया।
साँस छोटी है, मगर आशा बंङी है,
जिन्दगी ने मौत पे पहरा बैठाया।
bahut hi accha aalekha bandhu .
" accha vishay chun ne pr aapko badhai .bahut hi badhiya post aur sabdo ka sahi prayog ..lazawaab post."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
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