खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के
साथ दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ तुमको,
इंतजार करते-करते
परेशां नहीं होता अब,
आदत हो गयी है तुमको देर से आने की,
कितनी बार तो शिकायत की थी तुम से ही,
पर
क्या तुमने किसी बात पर गौर किया ,
नहीं न ,
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हस पल में,
खामोश दस्तक के
साथ आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धड़कन का बढ़ना,
और तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूसस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश और
आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को..........
बुधवार, 11 नवंबर 2009
खामोश रात में तुम्हारी यादें--------------(मिथिलेश दुबे )
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9 comments:
bahut sundar vichaar
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हस पल में,
बहुत सुन्दर कविता है संतोश जी को बधाई
माँ जी ये कविता मिथिलेश दुबे की है।
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं !
बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ज़िन्दगी की ख़ूबसूरती तथा रिश्तों की पाक़ीज़गी का अहसास मन को गहरे भिंगो देता है।
" bahut hi badhiya rachana "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
mithilesh और मेहनत की ज़रूरत है ।
खामोश दस्तक के
साथ आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
bahut sundar
खामोश रात में यादें यूँ ही दस्तक दिया करती हैं ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ..!!
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