देख कर लोग मुझे रश्क किया करते हैं .
क्या पता उनको छुपे गम मुझमें रहते हैं .
जी लिया है लगता जिंदगी ने हमको बहुत,
हर घड़ी को अब हम बोझ समझ सहते हैं .
जिसको भी अपना समझ दिल में बसाया हमने,
चेहरा खुद का दिखाने से भी वह डरते हैं .
कितने आंसू हैं बहाए अपनों की खातिर,
अब तो आंखों से दो आंसू भी नही बहते हैं .
घाव इतने हैं दिये उसने हमें छलनी किया,
शान से फिर भी देखो अपना हमें कहते हैं .
राम हर युग में नही पैदा हैं होते लेकिन,
हर गली कूचे में रावण तो यहां रहते हैं .
मंगलवार, 29 सितंबर 2009
गजल ..........................कवि कुलवंत जी
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4 comments:
राम हर युग में नही पैदा हैं होते लेकिन,
हर गली कूचे में रावण तो यहां रहते हैं .
ये लाईने बहुत ही सच लगी । सुन्दर गजल के लिए बधाई ।
bahut sundar rachanaa aaj ke yug par ekdam khari sabke dilon ka yahi haal hai pyaare!!
ekdum khari va sachhi rachna
बहुत ही सटिक लिखा है आपने
राम हर युग में नही पैदा हैं होते लेकिन,
हर गली कूचे में रावण तो यहां रहते हैं .
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