एक श्रमिक अपने लिये ऐसा सोचता है कि सारी उम्र उसे श्रम ही करना है उसके लिये ना तो विश्राम है ना ही पल भर के लिये आराम, यहां तक कि जीवन के अन्तिम दिनों में भी जब वह बोझ उठाने के काबिल नहीं रह जाता तो पेट भरने के लिये वो पत्थर तोड़ने जैसे काम करता है परन्तु आराम वह कभी नहीं कर पाता, वह क्या कुछ ऐसा महसूस नहीं करता
मेहनत और लगन से काम करो तो,
कहते हैं किस्मत भी साथ देती है ।
कितनी की मेहनत, कितना बहा पसीना,
क्यों नहीं किस्मत मजदूर का साथ देती है ।
खेल खेलती किस्मत भी रूपयों का तभी तो
अमीर को धनी गरीब को ऋणी कर देती है ।
छोटी-छोटी चाहत छोटे–छोटे सपने सब हैं,
अधूरे ये बातें तो जीना मुश्किल कर देती हैं ।
श्रमिक के जीवन की किस्मत ही मेहनत है,
श्रम करते हुए ही जीवन का अंत कर देती है ।
फिर भी वह होठों पर सदा मुस्कान ही रखता,
यही बात उसके जीवन में बस रंग भर देती है ।
1 comments:
bahut sundar rchna sima ji
एक टिप्पणी भेजें