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शुक्रवार, 1 मई 2009

गुरूसहाय भटनागर ‘बदनाम' की एक गजल

खुदा मिल गया


तुम जो मिले तो जहां मिल गया है।

मोहब्बत में हमको खुदा मिल गया है।।


मेरी जिन्दगी में अचानक ही आना,
खुशियों भरा गुलसिताँ मिल गया है।


हंसी मुझको लगने लगी आज दुनियां,
तारों भरा एक जहां मिल गया है।


छुटायेगी दुनिया जुदा अब न होगें,
अब तो ‘बदनाम’ को आस्तां मिल गयाहै।

3 comments:

abhivyakti ने कहा…

bhut achchhi rachna
jab pahli bar pram hota hai tab aisi hi bhavnay maan main aati hai

likhte rahiye
aap bhut age jaoge

Urmi ने कहा…

मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

निर्मला कपिला ने कहा…

रचना बहुत अच्छी ह आपको यूँ ही खुशियां मिलती रहें और हमे अपकी रचना धन्य्वाद्