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शनिवार, 2 अप्रैल 2011

"अक्सर"------(कविता)-----मोनिका गुप्ता

अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

उसका वो

नर्म हाथो से रोटी का निवाला खिलाना

होस्टल छोडने जाते हुए वो डबडबाई आखों से निहारना

उसका पल्लू पकड़कर आगे पीछे घूमना

उसके प्यार की आचँ से तपता बुखार उतर जाना

कम अंक लाने पर उसका रुठना पर जल्दी ही मान जाना

अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

पर माँ तो माँ है

इसलिए बस चंद पल खुद ही सिसक लेती है

और फिर भुला देती है खुद को

पाकर अपने बच्चो को प्यार भरी

छावँ मे,दुलार मे ,मनुहार में

पर अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

4 comments:

Anupama Tripathi ने कहा…

komal bhaav -maa ke sparsh jaisa -
bahut sunder rachna -

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही सुंदर एहसास...यही भावनायें तो पीढ़ी दर पीढ़ी बनती सँवरती है...लाजवाब।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

माँ की बात हर एक को याद आती है ..चाहे कितनी ही उम्र क्यों न हो जाए

मोनिका गुप्ता ने कहा…

धन्यवाद ...संगीता,सत्यम,मनप्रीत,अनुपमा ... असल मे, हम यही सोचते है कि हम ही सिर्फ माँ को याद करते है लेकिन माँ के दिल के किसी कोने मे भी अपनी माँ की यादो का झरोखा होता है जिसे वो मन ही मन चुपचाप याद करती रहती है ...